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सुराग के रास्ते / लीलाधर मंडलोई

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याद नहीं रहता भूगोल
जगहें याद नहीं आती
चेहरे तो बिल्‍कुल नहीं

इधर जबकि दीखती नहीं
जिंदा छवियां भी
मुर्दा प्रमाणों में खोजते हैं राम

और एक छोटे से सुराग के रास्‍ते
गर्व से उठा लेते हैं आसमान सिर पर
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