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हवा का विलाप-3 / इदरीस मौहम्मद तैयब

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तुम्हारे और मेरे बीच जवान हसरतों की दुनिया है
और धीरे धीरे सरकता बुढ़ापा
मैं पतझर के चेहरों में उलझा हूँ
और तुम वसन्त के दिल में खिल रही हो ।

रचनाकाल : 21 अगस्त 2005, रोम