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चांद मद्धम है / साहिर लुधियानवी
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चांद मद्धम है आस्मां चुप है
नींद की गोद में जहां चुप है
दूर वादी में दूधिया बादल,झुक के परबत को प्यार करते हैं
दिल में नाकाम हसरतें लेकर,हम तेरा इंतज़ार करते हैं
इन बहारों के साए में आ जा,फिर मोहब्बत जवां रहे न रहे
ज़िन्दगी तेरे ना-मुरादों पर,कल तलक मेहरबां रहे न रहे
रोज़ की तरह आज भी तारे,सुबह की गर्द में न खो जाएं
आ तेरे गम़ में जागती आंखें,कम से कम एक रात सो जाएं
चांद मद्धम है आस्मां चुप है
नींद की गोद में जहां चुप है