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गुड़िया-3 / नीरज दइया

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जिस गुड़िया से था
प्यार बचपन में
वह कितना निष्पाप था

उसे दिन-रात चूमना
और बार-बार गले लगाना
कितना बेदाग था

अब पाप में
दाग गिन भी नहीं पाता !