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जिनकी वज़ह से आप उदास हैं / सांवर दइया
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जिनकी वज़ह से आप उदास है।
गिनती में वे कुल सौ पचास हैं!
देखो, अब कौन कहां बिक सकता,
उनकी बज्म लग रहे क़यास हैं।
खुश हो जिस पर कर दिये दस्तखत,
यह आपके सपनों की लाश है!
आ जाते हैं वे फिर ललचाने,
होती जब मंजिल बहुत पास है।
चिनगारी से जल जाता जंगल,
आप अंगारे होकर उदास हैं?