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आभा / अजित कुमार

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सागर की लहराती केशराशि में
दमकते कर्णफूल-सी
वह सीपी...
कितनी शुभ्र और स्वच्छ,
लालिम आभा से युक्त,
बिलकुल दिव्य !

सराहते हुए उसे
हम थक न रहे थे
तभी झलका उसी में से
उभरता,
टेढ़ी-मेढ़ी लंबी टाँगों
और
बदसूरत शक्ल वाला
आक्टोपस केकड़ा !

हमें स्तंभित करता हुआ ।