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पहाड़ और पहाड़ / अजित कुमार

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नदियाँ बहाकर ले गई थीं
पहाड़ और धरती का
जो चूना रसायन और नमक
समुद्र में,
कीड़ों ने खाया उन्हें,
पचाया उन्हें
और उत्पादन शुरू किया
नमक, रसायन और चूने का
अपने ही तन से ।

क्या पता
यह प्रकृति का एक और सन्तुलन हो
कि उधर गलते रहें पहाड़
खड़े धरती के शीश पर...

इधर चलते रहें पहाड़
टिके घोंघों की पीठ पर ।