काम करेगी उसकी धार
बाकी लोहा है बेकार
कैसे बच सकता था मैं
पीछे ठग थे आगे यार
बोरी भर मेहनत पीसूँ
निकले इक मुट्ठी भर सार
भूखे को पकवान लगें
चटनी, रोटी, प्याज, अचार
जीवन है इक ऐसी डोर
गाठें जिसमें कई हजार
सारे तुगलक चुन-चुन कर
हमने बना ली है सरकार
शुक्र है राजा मान गया
दो दूनी होते हैं चारटूट जाने तलक गिरा मुझको
कैसी मिट्टी का हूँ बता मुझको
मेरी खुशबू भी मर न जाय कहीं
मेरी जड़ से न कर जुदा मुझको
एक भगवे लिबास का जादू
सब समझते हैं पारसा मुझको
अक़्ल कोई सजा़ है या ईनाम
बारहा सोचना पडा़ मुझको
हुस्न क्या चन्द रोज़ साथ रहा
आदतें अपनी दे गया मुझको
कोई मेरा मरज़ तो पहचाने
दर्द क्या और क्या दवा मुझको
मेरी ताक़त न जिस जगह पहुँची
उस जगह प्यार ले गया मुझको
आपका यूँ करीब आ जाना
मुझसे और दूर ले गया मुझको