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टूट जाने तलक गिरा मुझको / हस्तीमल 'हस्ती'

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टूट जाने तलक गिरा मुझको
कैसी मिट्टी का हूँ बता मुझको

मेरी खुशबू भी मर न जाय कहीं
मेरी जड़ से न कर जुदा मुझको

एक भगवे लिबास का जादू
सब समझते हैं पारसा मुझको

अक़्ल कोई सजा़ है या ईनाम
बारहा सोचना पडा़ मुझको

हुस्न क्या चन्द रोज़ साथ रहा
आदतें अपनी दे गया मुझको

कोई मेरा मरज़ तो पहचाने
दर्द क्या और क्या दवा मुझको

मेरी ताक़त न जिस जगह पहुँची
उस जगह प्यार ले गया मुझको

आपका यूँ करीब आ जाना
मुझसे और दूर ले गया मुझको