भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पतझर / विजय बहादुर सिंह
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:53, 3 अगस्त 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजय बहादुर सिंह |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <Poem> पतझर लटका …)
पतझर
लटका हुआ है पेड़ से
पेड़ की चुप्पी तो देखिए
देखिए उसका धीरज ।