भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सिर्फ ख़यालों में न रहा कर / हस्तीमल 'हस्ती'
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:55, 3 अगस्त 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हस्तीमल 'हस्ती' }} {{KKCatGhazal}} <poem> सिर्फ ख़यालों में न …)
सिर्फ ख़यालों में न रहा कर
ख़ुद से बाहर भी निकला कर
लब पे नहीं आतीं सब बातें
ख़ामोशी को भी समझा कर
उम्र सँवर जाएगी तेरी
प्यार को अपना आईना कर
जब तू कोई कलम खरीदे
पहले उनका नाम लिखा कर
सोच समझ सब ताक पे रख दे
प्यार में बच्चों सा मचला कर