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धुंधलका / अशोक लव
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मित्र !
जब धुंध इतनी घिर जाए 
कि शीशे के पार कुछ दिखाई ना दे 
तब -
हथेलियों से शीशे को पोंछ लेना 
फिर 
शीशे के पार देखना 
सब कुछ साफ़-साफ़ दिखने लगेगा 
मैं तो वहीं खड़ा था 
जहाँ अब दिखाई देने लगा हूँ 
सिर्फ धुंध ने तुम्हे 
बहका रखा था
	
	