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माहिये-१ / रविकांत अनमोल

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१ इक फूल है डाली पे। ऊपर वाले का, एहसान है माली पे। २ दो फूल महकते हैं। दिल में यादों के, सौ दीपक जलते हैं। ३ फूलों से हवा खेले। अपनी मस्ती में बंदों से ख़ुदा खेले। ४ दिल झूम उठा मेरा। फूल के पर्दे में, चेहरा जो दिखा तेरा। ५ क्या खूब नज़ारे हैं। फूल हैं कलियां हैं, चंदा है सितारे हैं।