भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
टोपी पलट / मुकेश मानस
Kavita Kosh से
Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:34, 22 अगस्त 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश मानस |संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मान…)
वह टोपियां बेचता है
लाल, नीली, हरी और सफेद
ग्राहकों को पटाने के लिये
वह अपने सिर पर पहनता है टोपियाँ
बदल-बदल कर
सब उसे कहते हैं टोपी विक्रेता
मगर मै उसे कहता हूँ
आजकल का नेता।
1987, आधी अधूरी ज़िन्दगी से