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यमुना / मुकेश मानस

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नदियों की वो रानी थी
उसमें खूब रवानी थी
उसकी एक कहानी थी
एक नदी थी मेरे शहर की

जहाँ जहाँ वो जाती थी
धरा वहाँ चिलकाती थी
हरी भरी लहराती थी
एक नदी थी मेरे शहर की

अब खूब गिरे गंदला काला
शासन के मुंह पर ताला
एक नदी थी मेरे शहर की
आज बनी गंदा नाला
                  
1990,पुरानी नोटबुक से