भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आजकल / मुकेश मानस
Kavita Kosh से
Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:44, 22 अगस्त 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश मानस |संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मान…)
मैंने लिखा एक शब्द
और शब्द अर्थहीन हो गया
मैंने लिखा एक वाक्य
औए वाक्य असंगत हो गया
मैंने लिखी एक कविता
और कविता मज़ाक हो गई
आजकल की दुनिया
बड़ी तेजी से बदल रही है।
2010