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ये रात ये तन्हाई / मीना कुमारी
Kavita Kosh से
रचनाकार:मीना कुमारी
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ये रात ये तन्हाई
ये दिल के धड़कने की आवाज़
ये सन्नाटा
ये डूबते तारॊं की
खा़मॊश गज़ल खवानी
ये वक्त की पलकॊं पर
सॊती हुई वीरानी
जज्बा़त ऎ मुहब्बत की
ये आखिरी अंगड़ाई
बजाती हुई हर जानिब
ये मौत की शहनाई
सब तुम कॊ बुलाते हैं
पल भर को तुम आ जाओ
बंद होती मेरी आँखों में
मुहब्बत का
एक ख्वाब़ सजा जाओ