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क्षण / सौमित्र सक्सेना

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धूप का किनारा
एकांत में जाके
गुमसुम हो गया है
चीटियाँ भरक रही हैं
दूब में
गरमाहट से
तस्वीर बदल रही है

तुम्हारे पहुँचने से पहले
चिड़िया दाना उठाके ले गई है
और अब उसकी
परछाईं भी नही
है यहाँ ।