भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ढाई आखर / ओम पुरोहित ‘कागद’
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:28, 31 अगस्त 2010 का अवतरण (ढाई आखर / ओम पुरोहित कागद का नाम बदलकर ढाई आखर / ओम पुरोहित ‘कागद’ कर दिया गया है)
उस ने
वह पूरी किताब पढ़ ली
अब वह
पूरी किताब है
मगर
उसे
आज तक
कोई पाठक नहीं मिला।
उस ने
जो किताब पढ़ी थी
उसे अब तक
दीमक चाट चुकी होगी
लेकिन
वह दीमक के लिए नहीं है
खुल जाएगा
एक दिन
सब के सामने
और
बंचवा देगा
अपने ढाई आखर सब को।