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बेबसी / सुधा ओम ढींगरा

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चाँद से
    मुट्ठी भर चाँदनी
        उधार ले आई
             हृदय के उन कोनों को
                   उजागर करने के लिए.

जहाँ भावनाएँ रावण बन
      सामाजिक मर्यादायों की
            लक्ष्मण- रेखा पार करना चाहती हैं
                 और मन सीता सा
                       इन्कार करता हुआ भी छला जाता है