रचनाकार=सर्वत एम जमाल संग्रह= }} साँचा:KKCatGazal
ख्वाब नींद बिन आए
कैसे कैसे दिन आए
मस-अ-ले ही सीधे थे
हल बहुत कठिन आए
पाँव ही न छूना था
लोग मुत्म-इन आए
नौकरी में इज्ज़त थी
पापा नोट गिन आए
इक चिराग है पैसा
घिस सको तो जिन आए
दूर ही का सच अच्छा