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ख्वाब नींद बिन आए / सर्वत एम जमाल
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ख्वाब नींद बिन आए
कैसे कैसे दिन आए
मस-अ-ले ही सीधे थे
हल बहुत कठिन आए
पाँव ही न छूना था
लोग मुत्म-इन आए
नौकरी में इज्ज़त थी
पापा नोट गिन आए
इक चिराग है पैसा
घिस सको तो जिन आए
दूर ही का सच अच्छा