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समवेत गायन / रित्सुको कवाबाता
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हम गा रहे हैं भजन संख्या ३१२
मैं हूँ विद्यार्थी
छोटा भाई है शिक्षक हमारा !
हाल ही में संगीत अकादमी से स्नातक ,
वह प्रोत्साहित करता है हमें अलापने को स्वर
स्वर और ऊंचे उठने दो !
मेरी मर्दानी आवाज़ आज सुर में है
कितना दक्ष निर्देशक !
कैसे चौकन्ने कान !
तुरंत पकड़ लेता है हर स्वर को संगति में चार की .
गाते हुए बार - बार
मैं बन जाती हूँ निपुण पेशेवर गायन में
पूरी तरह जोशीली
हा ले लुजः ....!
अनुवादक: मंजुला सक्सेना