भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ध्यान की छाया / गोबिन्द प्रसाद
Kavita Kosh से
Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:07, 8 सितम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद |संग्रह=कोई ऐसा शब्द दो / गोबिन्द…)
मैंने कहा : बैठ जाओ
इस पत्थर पर
वह बैठ गयी,चुपचाप
उसने कहा : तुम यहाँ बैठो
मेरे ध्यान की छाया में
घास पर
-मैं खड़ा रहा देर तक
चुपचाप