रचनाकार=सर्वत एम जमाल संग्रह= }} साँचा:KKCatGazal
जहां सांस लेना मुहाल है
वहाँ लोग खुश हैं, कमाल है
यहीं चाँद रात का हुस्न था
जो सहर हुई तो निढाल है
कोई भेड़ है कोई भेड़िया
कहीं आदमी की मिसाल है
गए वक्त कितना बुलंद था
मगर आज सच पे जवाल है
ये उजाले अब भी हैं शहर में
यही तीरगी को मलाल है
तुझे बाँट डालेगा देखना
तेरे आइने में जो बाल हैझूकी मूल