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आशिक़ाना मिज़ाज है मेरा / बिरजीस राशिद आरफ़ी
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आशिक़ाना मिज़ाज है मेरा
ये मरज़ ला-इलाज है मेरा
आप जो मुझको प्यार देते हैं
बस वही तख़्त-ताज है मेरा
यह मेरा घर है ’सल्तनत’ मेरी
अपने बच्चों पे राज़ है मेरा
दोस्त , अहबाब ,मेरे हमसाये
जैसा भी है समाज है मेरा
खेलता हूँ अदीब और ऐमन <ref> मेरे पोतों के नाम</ref> से
बस यही काम-काज है मेरा
मैं हमेशा रहा रहा ख़राज-गुज़ार<ref>लगान देने वाला</ref>
"शुक-ए-रब" ही ख़राज है मेरा
जो ज़रूरत हुई मिला ‘राशिद‘
कल नहीं था, जो आज है मेरा
शब्दार्थ
<references/>