भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक लड़ाई / पूनम तुषामड़

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:04, 23 सितम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पूनम तुषामड़ |संग्रह=माँ मुझे मत दो / पूनम तुषाम…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंने छेड़ी है लड़ाई
उन तमाम असमर्थताओ के ख़िलाफ़
जो मुझसे मेरे हिस्से का
सुख छीन कर ले जाती हैं
और बदले में मुँह चिढ़ाती हैं

मैं बार-बार बढ़ती हूँ
सम्पूर्ण शक्ति और
मनोबल लेकर
याद करती हूँ
कि-पहले भी किया है
किसी ने संघर्ष
अकेले ही
इस पूरी सामाजिक
सत्ता के खिलाफ

किया है स्वाहः
मनु की अमानुषिक कृति को

और प्रज्जवलित की थी
हमारी अंधियारी
गलीज़ ज़िन्दगी में
उम्मीद की मशाल