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यादें / शमशेर बहादुर सिंह
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(एक गीत)
कैन बिहान
बीते जन्म के
आज की संध्या में गतिमान?
झिलमिल दीप-से जल
आज की
सुंदरताओं में लयमान?
अलस तापस मौन
भर स्वर में
करते
क्षीण निर्झर का-सा आह्वान.