साक़िया इक नज़र जाम से पहले पहले
हम को जाना है कहीं शाम से पहले पहले
ख़ुश हुआ ऐ दिल के मुहब्बत तो निभा दी तूने
लोग उजड़ जाते हैं अंजाम से पहले पहले
अब तेरे ज़िक्र पे हम बात बदल देते हैं
कितनी रग़बत थी तेरे नाम से पहले पहले
सामने उम्र पड़ी है शब-ए-तन्हाई की
वो मुझे छोड़ गया शाम से पहले पहले
कितना अच्छा था कि हम भी जिया करते थे 'फ़राज़'
ग़ैर-मारूफ़ से गुम-नाम से पहले पहले