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ततूरी / लीलाधर मंडलोई
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मई की ततूरी में
जल रहे हैं मजूरों के तलुए
कोलतार की सड़कों पर
कहीं नहीं हैं बादल
जल नहीं है
सिवाय आंखों के
आंखें धूप के हमले से पनियायी हुई हैं