भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सच / लीलाधर मंडलोई
Kavita Kosh से
Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:58, 29 सितम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर म…)
रेत के सजीले घरधूले
बनाए जिन्हें हमने
बचपन में
तोड़े अपनों ने
कभी सनक में
कभी अनजाने
इस तरह जाना हमने
घरों के टूटने का सच