भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मातृभाषा / केदारनाथ सिंह
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:41, 28 मई 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} रचनाकार: केदारनाथ सिंह Category:कविताएँ Category:केदारनाथ सिंह ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~...)
रचनाकार: केदारनाथ सिंह
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
जैसे चींटियां लौटती हैं
बिलों में
कठफोड़वा लौटता है
काठ के पास
वायुयान लौटते हैं एक के बाद एक
लाल आसमान में डैने पसारे हुए
हवाई अड्डे की ओर
ओ मेरी भाषा
मैं लौटता हूं तुम में
जब चुप रहते-रहते
अकड़ जाती है मेरी जीभ
दुखने लगती है
मेरी आत्मा
'अकाल में सारस' नामक कविता-संग्रह से