भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नए शहर में बरगद / केदारनाथ सिंह
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:09, 29 मई 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} रचनाकार: केदारनाथ सिंह Category:कविताएँ Category:केदारनाथ सिंह ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~...)
रचनाकार: केदारनाथ सिंह
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
जैसे मुझे जानता हो बरसों से
देखो, उस दढ़ियल बरगद को देखो
मुझे देखा
तो कैसे लपका चला आ रहा है
मेरी तरफ़
पर अफ़सोस
कि चाय के लिये
मैं उसे घर नहीं ले जा सकता
'अकाल में सारस' नामक कविता-संग्रह से