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शब्द / कन्हैया लाल सेठिया

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प्रत्येक
शब्द के बीज में है -
अर्थ का वृक्ष ।
वह उगेगा
जव मिलेगी
अनुभव की धारा
संवेदना का जल ।
             
निगूंढ़
बजा कर
एक गीत की धुन
रख दिया सितार को
यथास्थान
गूंगे वादक ने ।

नहीं पकड़ी
ऊपर उठी हुई अनुगूंज
बहरे आकाश ने
लेकिन
पकड़ लिया उसे
गली में बैठे हुए
अंधे सूरदास ने ।
                
अनुवाद : मोहन आलोक