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आपद्धर्म / केदारनाथ अग्रवाल
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लोग हैं कि
औरतें बदलते हैं
तलाक-बेतलाक
मुक्ति का प्रयोग स्वधर्म हो गया है
आपद्धर्म न बदलना हो गया है
रचनाकाल: ०६-१०-१९६७