भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कवि सादी की सीख / इवान बूनिन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:24, 1 नवम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=इवान बूनिन |संग्रह=चमकदार आसमानी आभा / इवान ब…)
|
खजूर के पेड़ की तरह उदार बनो
यदि बन नहीं सको वैसा तुम
सरू के पेड़ का तना बनो
सहज और सरल
विशाल-हृदय
अविरल
(मार्च 1912)
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय