भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शब्द / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:29, 1 नवम्बर 2010 का अवतरण
प्रत्येक
शब्द के बीज में है -
अर्थ का वृक्ष ।
वह उगेगा
जव मिलेगी
अनुभव की धारा
संवेदना का जल ।
निगूंढ़
बजा कर
एक गीत की धुन
रख दिया सितार को
यथास्थान
गूंगे वादक ने ।
नहीं पकड़ी
ऊपर उठी हुई अनुगूंज
बहरे आकाश ने
लेकिन
पकड़ लिया उसे
गली में बैठे हुए
अंधे सूरदास ने ।
अनुवाद : मोहन आलोक