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आत्मिक प्रकाश / केदारनाथ अग्रवाल

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प्रकाश
और प्रकाश
सुबह से शाम तक
और
प्रकाश
सूरज का दिया
जहान को मिला
मगर आत्मिक प्रकाश
इंसान को मिला
जो न सूर्य को मिला
न चाँद को मिला
न आग को
आदमी ने इसे तब
अतीत को दिया
भविष्य को दिया
वर्तमान को दिया

रचनाकाल: ११-११-१९६७