तुम नहीं छोड़ते भोग-संभोग
तुमसे बगावत करते हैं लोग
जिधर पहुँचती है तुम्हारी छाया
उधर फैल जाते हैं बुरे रोग
रचनाकाल: ०६-०३-१९६९
तुम नहीं छोड़ते भोग-संभोग
तुमसे बगावत करते हैं लोग
जिधर पहुँचती है तुम्हारी छाया
उधर फैल जाते हैं बुरे रोग
रचनाकाल: ०६-०३-१९६९