भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

छाया का विरोध पत्र / मंगत बादल

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:46, 18 नवम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>मैं पेड़ पर गीत लिखूंगा जो तेज हवाओं में तनकर खड़ा हो सके भयंकर …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं पेड़ पर गीत लिखूंगा
जो तेज हवाओं में
तनकर खड़ा हो सके
भयंकर आंधी
तूफान
और बारिश का
अपनी मजबूत और गहरी
जड़ों के बलबूते पर
सामना कर सके
जो अपने संघर्षशील
और जुझारू व्यक्तित्व द्वारा
वातावरण में संगीत भर सके
लूओं के थपेड़े खाकर भी
जो प्राण-वायु बांटता है
तथा सूरज से बगावत करके
जिसका पत्ता-पत्ता
छाया का
विरोध-पत्र लिखता है
ठीक उसी प्रकार
मेरी शब्द रचना भी
धरती से रस खींचेगी
और उसकी लय
पत्ते-पत्ते को
रस से सींचेगी!