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बसंत ऋतु के बासंती पौधे / शरद चन्द्र गौड़
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ऋतु बदली
आया बसंत
बसंती चादर से
सुशोभित वसुंधरा
सूखे पत्ते उड़ते
इधर-उधर
दरख़्तों पर सुशोभित
बासंती कोमल पत्तियाँ
आम बौरा गए
हो गए बासंती
मधुर सुगन्ध से
सुगन्धित वसुन्धरा
साड़ी में लिपटी
बलखाती, मुस्काती
लकदक यौवन के
मद में मदमाती नवयौवना
धूल के गुबार
उड़ते पत्तों का बवंडर
सबको चिढ़ाते
‘शान से इठलाते
बासन्ती पत्तों से लिपटे दरख़्त
ऋतु बदली आया बसन्त