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मीठो पाणी / सांवर दइया
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रोसनी री पळपळाट
दौड़ती-भागती मोटरां-कारां
मिनख : जाणै कीड़ी नगरो
सागै ऊभा है
पण कोई किणी नै ओळखै कोनी
अबै तो
अपणायत री सोरम
अलोप हुवण लागी है
थारै ई हिवड़ै सूं
धूंवै री नगरी में ताजी पून रा लहरका
कठै पड़िया है !
ठीक है
सत्य नारायण शर्मा सूं बणग्यो तूं
शर्मा एस. एन.
खासा रूतबो है थारो आज
पण
आ तो बता भाई सत्तू !
शहर में आयो हो जद
पैलड़ै ई दिन
सब सूं पैली क्यूं याद आयो थनै
खांडिये कूवै रो मीठो पाणी
अर क्यूं चेतै में चकारा मारै आज ई
ऐकलो बैठियो हुवै जणा
बाळपणै रा बेली…आंधलघोटो…धुक्क्ड़...
दालघोड़ी कच्ची के पक्की….!