राम- राम… राम- राम… राम- राम…
अटूट सुणीज्या करतो
एक ई सुर
सरगां कानी मूंडो कर बैठ्या
दादी-सा रै मूंडै सूं
पण जद सूं
परदै माथै आवण लाग्या है रामजी
रामजी री किरपा सूं सूझै कोनी
तो ई सगळां सूं आगै बैठै दादी सा
करै अरदास-
पड़पोतै रो मूंडो देख लूं
पछै भलांई
उठाय लीजो रामजी !
हाथ जोड़ै
धोक देवै
ज्यूं ई
परदै सूं पाछा पधारै रामजी
रामजी री किरपा सूं पाछो शुरू हुवै
अटूट सुर एक
राम- राम… राम- राम… राम- राम…