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पै‘लापै‘ल (5) / सत्यप्रकाश जोशी

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आज अंबर रा लिलाड़ माथै
चळापळ तारां री
अणगिण टीकियां
पळपळावै, चमचमावै, मुसकरावै।

पण पै‘लापै‘ल
जद थूं म्हारैं आंटीलै भंवारां बीच
रतनालै हींगळू री
टीकी देवण लाग्यो
तौ म्हैं छळगारी लाज रै फरमांण
माथौ नीचौ कर लीनौ।