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प्रीत / मदन गोपाल लढ़ा
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थारै मिस
म्हैं करूं गुरबत
बायरै सूं
आखी आखी रात।
म्हैं सूंघूं
बायरै में
थारै हुवणै री सौरम।
आभै तणियै
इंदरधनख नै देखतां
म्हारैं हिवडै़
हुवै पतियारो
कै कठै नै कठैई
थूं ई
अवस निरखती हुवैला
सतरंगी आभै नै
इणींज भांत।
इंदरधनख रै औळावै
थारी निजरां सूं
एकामेक हुय जावै
म्हारी निजरां।
कोसां धरती रै
आंतरै नै बिसरांवता
निजरां रै मारफत
मिलण रै इण सुख नै
म्हैं भोगूं
अर थूं ....??