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उड़ने की मुद्रा में (नवगीत) / अनिरुद्ध नीरव
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उड़ने की मुद्रा में
चिड़िया
पत्थर हो जाए तो ?
बदलें
यदि सरसब्ज़ लताएँ
लोहे के ग्रिल में
खौल उठे
तेजाबों की बू
कलियों के दिल में
झूली-झूली
बरगद की लट
अजगर हो जाए तो ?
उड़ती तितली
बैठक में
प्लास्टिक बन जाती है
खानों से
आती नदिया
’डामर’ कहलाती है
तिरने की कोशिश में
मछली
पिंजर हो जाए तो ?
ये चिमनी
सीमेंट मिलों की
ये विष के बादल
विकसित होने की
परिणति हैं
या पापों के फल
हल से
मक्खन होती मिट्टी
बंजर हो जाए तो ?