भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
म्हारी कविता 3 / रामस्वरूप किसान
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:29, 3 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामस्वरूप किसान |संग्रह=आ बैठ बात करां / रामस्व…)
म्है कवि कोनी बावळी !
कारीगर हूं
थारी-म्हारी प्रीत रौ
मै‘ल चिणूं
इण बीच
काट-छांट में
जकौं ई कीं
झड़ै
उण नै ई
कविता गिणूं।