भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

काळजै रौ सांच / रामस्वरूप किसान

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:43, 3 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामस्वरूप किसान |संग्रह=आ बैठ बात करां / रामस्व…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


ऊंट मरग्यौ

ठाण पर बैठ्या
टाबर रोवै
ऊंट नै
आंगणै बैठ्या
मायत रोवै
रकम नै

एक ई चौट
दौ ठोड़ लागी
एक साथै
टाबरां रै काळजै
अर मायतां रै माथै।