भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अंगना में कुइयाँ खोनाइले, पीयर माटी नू ए
Kavita Kosh से
Vandana deshpande (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:36, 4 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: अंगना में कुइयाँ खोनाइले, पीयर माटी नू ए, ए ललना जाहिरे जगवहु कवन …)
अंगना में कुइयाँ खोनाइले, पीयर माटी नू ए,
ए ललना जाहिरे जगवहु कवन देवा, नाती जनम लिहले हो।
नाती जनमले त भल भइले, अब वंस बाढ़हू ए।
ए ललना देह घालऽ सोने के हँसुअवा,
बाबू के नार काटहु ए।
ए ललना देइ घालऽ सोने के खपड़वा,
बाबू के नहवाईवि ए।
ए ललना जाहि रे जगवहु कवन देवा,
नाती जनम लिहले ए ।
नाती जनमले त भल भइले, अब वंस बाढ़हु ए ।
ए ललना देई घालऽ रेशमऽ के कपड़वा,
जे बाबू के पेनहाइवि ए ।