भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अंगना में कुइयाँ खोनाइले, पीयर माटी नू ए
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:32, 5 दिसम्बर 2010 का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
अंगना में कुइयाँ खोनाइले, पीयर माटी नू ए,
ए ललना जाहिरे जगवहु कवन देवा, नाती जनम लिहले हो।
नाती जनमले त भल भइले, अब वंस बाढ़हू ए।
ए ललना देह घालऽ सोने के हँसुअवा,
बाबू के नार काटहु ए।
ए ललना देइ घालऽ सोने के खपड़वा,
बाबू के नहवाईवि ए।
ए ललना जाहि रे जगवहु कवन देवा,
नाती जनम लिहले ए ।
नाती जनमले त भल भइले, अब वंस बाढ़हु ए ।
ए ललना देई घालऽ रेशमऽ के कपड़वा,
जे बाबू के पेनहाइवि ए ।