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बबुआ बइठले नहाए त सासु निरेखेली ए
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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बबुआ बइठले नहाए त सासु निरेखेली ए,
ललना कवना चेली के लोभवलु त,
गरभ रहि जाले नू ए।
पुत मोरे बसेले अयोध्या, पतोहिया गजओबर ए,
ए सासु भंवरा सरीखे प्रभु अइले,
गरभ रहि जाले नू ए।
मोरे पिछुअरवा पटेहरवा भइया, तूहू मोरे हितवा नू ए,
बिनी द ना रेशमऽ के जलिया त,
छैला के भोराइवि हे।
बिनि देहले रेशमऽ के जलिया, रेशम-डोरिया लगाई देहले ए
लेहि जाहु रेशम के जलिया, छैला के भोरावऽहु ए ।
सुतल बाड़ू कि जागलऽ सासु,
चिन्ही लऽ आपनऽ पुतवा अछरंगवा मत लगावऽहु ए। (अछरंग=दोष)